शासन प्रशासन द्वारा यह स्पष्ट निर्देश है की किसी भी किसान से क्षमता से अधिक की भर्ती और उनसे धागा सिलाई या अन्य किसी भी कार्य के नाम पर पैसो की मांग नहीं की जाएगी
विश्व भूषण पाण्डेय
शहडोल | परन्तु शाशन के दिशा निर्देशों को एक अदना सा कर्मचारी चिढ़ाने का कार्य कर रहा है जिस कदर इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के गरीब किसान अपनी रोजी रोटी और कड़ी मेहनत से यह आसरा लेकर आते है की हमारी मेहनत की धान का शाशन द्वारा उचित मूल्य दिया जायेगा जिससे हम आपने जीवन का सही रूप से निर्धारण कर सकेंगे यह सब इस जिले के देवरी (लफदा ) समिति के प्रबंधक जनार्दन ने किसानों के लिये एक सपने की तरह बनाकर रख दिया है ऐसे हम नहीं उक्त क्षेत्र के किसानों का कहना है जिले भर मे चल रही धान खरीदी मे एक प्रकरण ऐसा भी देखने को मिला जहाँ किसानों से धान खरीदी 41.200 तक की जा रही है तो वही शाशकीय पोर्टल मे उसे नियमानुसार ही दर्शाया जा रह है जिसके चलते उक्त क्षेत्र के किसान अपनी ही मेहनत की खेती को बेचने मे सोच विचार करते नजर आ रहे है |
नहीं करोगे मेरे हिसाब से बैठो फिर 3-4 दिन :-
उक्त प्रकरण के सम्बन्ध मे कुछ किसानों ने दबी जुबान हमें यह तक बताया की धान खरीदी के नाम पर प्रबंधक जनार्दन शुक्ला द्वारा कही सिलाई तो कही अधिक धान देने के लिये कहाँ जाता है और जो भी किसान इनके अनुरूप चलने से इंकार कर्ता है तो वहां उनसे दादागिरी करते हुए उनकी धान का स्लॉट भले ही आज का हो पर 4-4 दिनों तक रोक दिया जाता है और बोला जाता है की यदि मेरे हिसाब से नहीं चले तो ऐसे ही ठण्ड मे और बैठाकर रखुगा जिसके चलते हम सभी किसान मजबूर होकर ठण्ड की मार और इनके अत्याचार से बचने के लिये नियम से हटकर 41.200 तक धान की भर्ती करवाते है |
ना प्रसाधन ना ही आकस्मिक चिकित्सा की व्यवस्था :-
शाशन द्वारा जहाँ साफ साफ निर्देश दिया गया है की प्रत्येक धान खरीदी मे किसानों को पानी सहित बैठने, प्रसाधन सहित आकस्मिक चिकित्सा की व्यवस्था जरुरी रूप से उपलब्ध करवाई जावेगी परन्तु आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक जनार्दन द्वारा व्यवस्था तो दूर उल्टा किसानों से दादागिरी करते हुए नियमो की अनदेखी की जाती है जिसके चलते दूर से आये किसान रात मे ठण्ड मे ठुथुरते हुए अपनी धान की सुरक्षा करने पर मजबूर है साथ ही जब किसानों द्वारा अपने लिये सुरक्षा की बात कही जाती है तो इनके द्वारा कहाँ जाता है की जो मिल रहा है उसी मे खुश रहो |
अधिकारियो का मौन देता है कई सवालों को जन्म :-
यु तो छोटी सी भी बात यदि आती है तो एक अधिकारी उसपर कार्यवाही करने मे और उस कार्यवाही मे वाहवाही लूटने मे जरा सी भी कमी नहीं कर्ता है पर जिस आदिवासी समुदाय के नाम पर प्रदेश सरकार अपने आप को शाशक्त बताकर अधिकारियो की तारीफ करती है आज उन्ही अधिकारियो दवाई उन्ही गरीब आदिवासी किसान पर हो रहे जुल्म पर चुप्पी साधी गई है आखिर क्या ऐसी वजह है जिसके चलते इन आदिवासी गरीब किसान पढ़ो रहे जुल्म को मौन होकर देखा जा रहा है या फिर जनार्दन की आवभागत ने जिम्मेदारो की आंखों मे ना चाहते हुए भी पट्टी बाँधने पर मजबूर कर दिया है |
इनका कहना है :-
आपने जानकारी दी है एसडीएम साहब साथ मे है तत्काल दिखवाते है |
श्रीमती वंदना वैध
कलेक्टर जिला शहडोल
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